उत्तर प्रदेश : SVT गोरखपुर
02 फरवरी 2025 : सांस्कृतिक मंच, गोरखपुर द्वारा आज प्रेस क्लब के सभागार में वरिष्ठ कवि सुनील श्रीवास्तव ‘राज’ के काव्य संग्रह ‘पाथेय’ का लोकार्पण सम्पन्न हुआ, जिसकी अध्यक्षता – प्रो.चितरंजन मिश्र (पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष, दी. द. उपा. गो. वि. गोरखपुर) मुख्य अतिथि – डॉ. प्रतिभा गुप्ता (अध्यक्ष – आई.एम.ए. गोरखपुर) विशिष्ट अतिथि – वरिष्ठ कवि सौदागर सिंह (अध्यक्ष, भागीरथी सांस्कृतिक मंच, गोरखपुर), सौरभ सिन्हा (सीनियर मैनेजर, स्टील अथॉरिटी आप इंडिया, राउरकेला), विकास श्रीवास्तव (डिप्टी कमांडेंट,सी आर पी एफ, खड्गपुर), प्रो.सूरज प्रसाद गुप्त रहें । पूरे कार्यक्रम का विधिवत संचालन – मृत्युंजय नवल ( उदघोषक, आकाशवाणी गोरखपुर) ने किया । कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर अतिथियों के द्वारा माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से हुआ । मां सरस्वती की वंदना शिखाश्री एवं श्रेयाश्री द्वारा प्रस्तुत किया गया । तत्पश्चात अतिथियों का सम्मान माल्यार्पण द्वारा किया गया । सभी के प्रति स्वागत भाषण संस्था प्रबंधक – डॉ. सत्य नारायण ‘पथिक’ने किया । भाई सुनील श्रीवास्तव ‘राज’ की दोनों सुपुत्रियों शिखा श्री एवं श्रेया श्री ने काव्य संग्रह ‘पाथेय’ से कविताओं का वाचन किया । पुस्तक पर परिचर्चा में भाग प्रो। सूरज प्रसाद गुप्त ने कहा – भाई सुनील श्रीवास्तव ‘राज’ ने अपनी काव्य यात्रा में सभी सोपानों को व्याख्यायित किया है । इसी क्रम में विकास श्रीवास्तव ने पुस्तक को बहुआयामी बताया।सौरव सिन्हा ने उनकी पुस्तक से एकाध कविताओं का पाठ किया एवं प्रशंसा किया । सौदागर सिंह ने काव्य संग्रह ‘पाथेय’ पर चर्चा करते हुए कहा कविताएं कवि के बच्चे समान होती है, जिसे वह पालता पोषता है, साथ ही उन्होंने इस मुक्तक से अपनी बात कही – आप जाने जिगर जिंदा दिल है अगर, तो यह दिलवर सौदागर भी कुछ कम नहीं । आपकी इस अदा पर फिदा हो गया, इस सबब का उसे कुछ पता ही नहीं । मुख्य अतिथि डॉ. प्रतिभा गुप्ता ने पुस्तक की प्रशंसा करते हुए अपनी कुछ कविताएं प्रस्तुत की । इस अवसर पर सुनील श्रीवास्तव ‘राज’ ने अपनी लोकार्पित पुस्तक पाथेय की चर्चा करते हुए कुछ व्यंग्य कविताएं पढ़ी । अध्यक्षता करते हुए प्रो.चितरंजन मिश्र ने कहा कि सबको बेहतर बनाने का जूनून सिर्फ कवियों में ही होता है,जिन व्यक्तियों में कविता नहीं होती है वे क्रूर एवं निर्दयी होते हैं । सुनील श्रीवास्तव ‘राज’ की कविताओं पर जयशंकर प्रसाद का प्रभाव दिखाई देता है । अन्य उपस्थित लोगों में श्रेया श्री, शिखा श्री, श्रीमती पुष्पा श्रीवास्तव एवं सर्व श्री श्रेष्ठराज श्रीवास्तव, अश्विनी कुमार श्रीवास्तव, कृति भूषण प्रसाद, कृष्ण कुमार बघेल, अरूण सदाबहार, सुरेन्द्र मोड़, रवीन्द्र मोहन त्रिपाठी, अरविंद अकेला, अवधेश नन्द, समाधान वेलफेयर फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित रामकृष्ण शरण मणि त्रिपाठी, केंद्रीय अधिमान्य मीडिया आयोग के जिला चेयरमैन दुर्गेश मिश्र, सुधीर श्रीवास्तव नीरज, श्रवण कुमार सिंह, दीक्षा बघेल, प्रांजल श्रीवास्तव , कुन्दन वर्मा पूरब आदि उपस्थित रहे । अंत में सभी के प्रति आभार व्यक्त किया मृत्युंजय नवल ने ।*महत्वपूर्ण सूचना* 📢
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